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Tuesday, April 11, 2023

"धीरे-धीरे बाला साहेब का महत्व खत्म करना चाहते हैं": बीजेपी पर बरसे उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बीजेपी पर जोरदार हमला करते हुए आज कहा कि जब बाबरी को गिराया गया था, सब बिल में घुस गए थे. बीजेपी के सुंदर सिंह भंडारी ने कहा था कि बाबरी गिराने में बीजेपी का नहीं शिवसेना का हाथ है. तब बाला साहेब को फोन आया था. उन्होंने कहा था कि अगर मेरे शिवसैनिकों ने गिराया तो मुझे अभिमान है.

उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आगे कहा कि मुगलों का इतिहास मिटाते-मिटाते हिंदुत्व का इतिहास भी मिटाने में लगे हैं. एक तरफ मोहन भागवत मदरसे में जा रहे हैं. दूसरी तरफ कह रहे हैं कि बाबरी हमने गिराई. जनता को अब विचार करना चाहिए कि ऐसे भ्रमित पार्टी का कितना साथ देना चाहिए?

महाराष्ट्र के मंत्री एवं बीजेपी के वरिष्ठ नेता चंद्रकांत पाटिल के बाबरी मस्जिद पर दिए बयान पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनका (चंद्रकांत पाटिल) इस्तीफा लेना चाहिए. अगर वो नहीं दे रहे तो शिंदे को इस्तीफा देना चाहिए. ये सरासर झूठ है. ऐसे झूठ बोलने वालों के हाथ में देश की सत्ता कैसे दे सकते हैं? मैं मानता हूं ये बीजेपी की चाल है. धीरे-धीरे बाला साहेब का महत्व खत्म करना चाहते हैं.

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ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे से पूछिए कि अब वो चप्पल से किसे मारेंगे ? कुछ साल पहले कल्याण- डोंबिवली चुनाव में यही एकनाथ शिंदे स्टेज पर रोते हुए बोले कि बीजेपी मेरे शिवसैनिकों पर अन्याय करती है. मुझसे यह बर्दाश्त नहीं होता इसलिए अब मैं इस्तीफा दे रहा हूं." यह कहने वाले एकनाथ शिंदे क्या अब अपने पद से इस्तीफा देंगे ? बाला साहब ठाकरे और शिवसैनिकों का अपमान करनेवाले चंद्रकांत पाटील को क्या जूते से मारेंगे ?

दरअसल चंद्रकांत पाटिल ने सोमवार को दावा किया कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद को जब छह दिसंबर 1992 को बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी ने ढहाया था, उस समय उस जगह के पास शिवसेना का एक भी कार्यकर्ता मौजूद नहीं था.

ठाकरे ने कहा कि अभी राम मंदिर का दर्शन करने सब जा रहे है. लेकिन हम अयोध्या तब जाते थे, जब इनमें से कोई नहीं जाता था.  बीजेपी के पास अपना कोई नेता, कोई आदर्श नहीं है. जिनके नाम पर वो जनता के सामने जाएं. इसलिए बीजेपी दूसरों के नेताओं को उनके आदर्शों को चुराने के काम करती है.

बीजेपी- मिंदे (शिन्दे ) के पास ऐसा कोई नेता नहीं है. जिसने देश की आज़ादी में योगदान दिया हो, स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया हो. इसलिए दूसरों के नेता चुराकर उसे अपना नाम देना इनकी पुरानी आदत है.

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