चूरू/सरदारशहर.
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर की लापरवाही के चलते यहां एक विद्यार्थी के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने का मामला सामने आया है। इसकी एक बानगी इतिहास विषय के मूल्यांकन में सामने आई है। परीक्षक ने बिना कॉपी जांचे नंबर दे दिए। इतिहास के पेपर में 1 से लेकर 30 प्रश्र पुछे गए। विद्याथी ने सभी प्रश्रो के उत्तर दिए। लेकिन परीक्षक ने उत्तर पुस्तिका के अन्दर से किसी भी प्रश्र की जांच नहीं की तथा बिना किसी आधार के बाहर अंक दिए गए है और प्रश्र संख्या 1 से 30 तक कोई भी प्रश्र चेक नहीं है। फिर भी कॉपी के उपर पांच अंक दर्शाए गए। जबकि कॉपी को अन्दर से छेड़ा नहीं गया।
वार्ड 7 निवासी योगेश सोनी ताल मैदान में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 12 कला वर्ग का विद्यार्थी था। जिसने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा 2018 में नियमित परीर्थी के रूप में शामिल हुए। परीक्षार्थी योगेश सोनी का परीक्षा केन्द्र बुनियादी उच्च माध्यमिक विद्यालय, गांधी विद्या मंदिर सरदारशहर था। योगेश के इतिहास, हिन्दी साहित्य व चित्रकला ऐच्छिक विषय थे। बोर्ड का परिणाम आने पर चित्रकला विषय में 91 व हिन्दी साहित्य में 90 तथा इतिहास विषय में मात्र पांच अंग आए।
बिना जांच उपर पांच अंक लिख दिए
विद्यार्थी ने पुर्नमूल्यांकन करवाया तो सामने आया कि उत्तर पुस्तिका के अन्दर एक भी प्रश्र जांचा नहीं गया। जबकि उत्तर पुस्तिका पर पांच अंक अंकित है। परीक्षक की लापरवाही से विद्यार्थी का भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। इसी प्रकार विद्यालय के 11 विद्यार्थी के इतिहास विषय में पांच अंक से अधिक नहीं आए। जिसके कारण विद्यार्थियों को पूरक परीक्षा देनी पड़ी।
विद्यार्थी योगेश सोनी ने बताया कि परीक्षक की लापरवाही के कारण उसको एक साल गंवाना पड़ा तथा मानसिक रूप से परेशान होना पड़ा। बोर्ड की लापरवाही के चलते उसकी कॉपी का जांचा भी नहीं गया और उपर पांच अंक दे दिए गए। उसके साथ अन्याय हुआ है। सोनी ने अब बोर्ड से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि परीक्षा का परिणाम आने पर सामने आया कि इतिहास विषय में मात्र पांच अंक आए है तो उसने पुर्नमूल्यांकन के लिए बोर्ड को लिखा। वहां से उत्तर पुस्तिका आई तो सामने आया कि उत्तर पुस्तिका को बिना जांच उपर पांच अंक लिख दिए गए है।
एक साल बर्बाद हो गया
उत्तर पुस्तिका में 1 से 30 प्रश्रों में प्रश्र नंबर 12, 26 व 29 में आधा अंक व प्रश्र नंबर 22 में 3 अंक दर्शाय गया। जबकि उत्तर पुस्तिका के अन्दर एक भी प्रश्न को जांच नहीं गया। यह बड़ी लापरवाही है। पीडि़त के पिता नवीन सोनी ने बताया कि बोर्ड की लापरवाही से बच्चे के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ है। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से न्याय नहीं मिला तो न्यायालय की शरण में जाएंगे। उन्होंने बताया कि परीक्षक की लापरवाही के चलते उसके लड़के का एक साल बर्बाद हो गया तथा उच्च शिक्षा से वंचित रहना पड़ा और मानसिक टेंशन का सामना करना पड़ा।
विद्यालय के प्रधानाचार्य पुनमचन्द भाटी ने बताया कि विद्यार्थी से शिकायत मिलते ही उन्होंने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के उप निदेशक गोपनीय को पत्र प्रेषित कर अवगत कराया गया है। बच्चे को न्याय अवश्य ही मिलेगा। विद्यार्थी कक्षा में होशियार छात्रों में से एक था। उसकी कॉपी को बिना जांच पांच अंक देना विद्यार्थी के साथ अन्याय है।
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