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Friday, June 1, 2018

कभी रोटी कच्ची,तो कभी चावल कच्चे

सुजानगढ़.

अन्नपूर्णा योजना के तहत जरूरतमंदों व गरीबों को पूरा नाश्ता व खाना नहीं मिल रहा है। ना ही निर्धारित मापदंडों के अनुरूप उचित गुणवत्ता का भोजन दिया जा रहा है। अन्नपूर्णा रसोईयोजना की ये हकीकत बुधवार को परिषद के आयुक्त मगराज डूडी की ओर से किए गए आकस्मिक निरीक्षण में सामने आई।आयुक्त ने गणेश मंदिर के सामने खड़े रहने वाले अन्नपूर्णा रसोई के वाहन नंबर पांच का निरीक्षण किया तो अनेक खामियां सामने आई। निरीक्षण के दौरान पार्षद पवन माहेश्वरी ने कूपन से खाना लिया तो वह तौलकर नहीं दिया गया।वाहन में बैठे संविदाकार्मिक ने आयुक्त को इलेक्ट्रोनिक कांटा (तराजू) खराब होना बताया। पार्षद श्रीराम भामा ने आयुक्त को रोटी दिखाई जो खराब व कच्ची थी। संपत लुहार ने आयुक्त को बताया कि सोमवार व मंगलवार को चावल पके हुए नहीं थे। बुधवार को आलू की सब्जी गुणवत्ता पूर्वक नहीं थी। निरीक्षण के समय मोहल्ले के अरविंद तेली व छोटूराम गोदारा ने भी भोजन की गुणवत्ता को खराब बताते हुए सुधार करवाने की मांग की।

 

 

लीजधारकों व क्रेशर मालिकों को थमाए नोटिस

सुजानगढ़. कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल के आदेश पर बुधवार को एसडीएम दीनदयाल बाकोलिया ने नियमों की पालना न करने वाले खनन लीजधारकों व क्रेशर संचालकों को नोटिस जारी किए। एसडीएम दीनदयाल बाकोलिया ने गोपालपुरा क्षेत्र के खनन लीजधारकों व क्रेशर मालिकों को नोटिस जारी कर 31 मई को गोपालपुरा में आयोजित राजस्व लोक अदालत न्याय आपके द्वार शिविर में उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए हैं। एसडीएम ने नोटिस में लिखा कि सक्षम अधिकारी की स्वीकृति, प्रदूषण बोर्ड व पर्यावरण विभाग
का प्रमाण पत्र, खनन व राजस्व विभाग की स्वीकृति सहित अन्य दस्तावेज व जानकारी पेश करें। दस्तावेज पेश नहीं करने की स्थिति में संबंधितों पर प्रशासन की तरफ से एक तरफा कार्रवाई की जाएगी।

ग्रामीणों ने की थी शिकायत
गौरतलब है कि कलक्टर अग्रवाल ने गत 25 मई को गोपालपुरा में जनसुनवाई की थी। इस दौरान ग्रामीणों ने क्षेत्र में अवैध खनन होने व के्रशर संचालकों के विरुद्ध शिकायत की थी। शिकायत में लिखा गया कि सन्1999 से ग्राम पंचायत की ओर से लगातार विरोध किए जाने पर जांच की गई थी। जांच में अवैध खनन की पुष्टि होने के बावजूद खनन लीज बंद नहीं की गई है।इससे जनस्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। उक्त अवैध खनन गोचर भूमि में होने से पशुपालकों को नुकसान हो रहा है। क्योंकि गोचर भूमि खुद-बुर्द हो रही है। पटवारी की रिपोर्ट के अनुसार आबादी से 80 व 120 मीटर की दूरी पर लगे क्रेशरों से उडऩे वाली मिट्टी से लोग टीबी व अन्य बीमारियों की जकड़ में आ
रहे हैं।



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