हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं.हरियाणा में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला है.जम्मू-कश्मीर में भी बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक ही सफलता मिली है. हरियाणा में लगातार तिसरी बार बीजेपी की सरकार बनेगी. ऐसा पहली बार होगा कि हरियाणा में किसी पार्टी की लगातार तिसरी बार सरकार बनेगी. इन प्रमुख राज्यों के चुनाव में तो बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक सफलता मिल गई है. ऐसे में आइए अब देखते हैं कि अगले छह महीनों में बीजेपी को किन चुनौतियों का सामना करना है. किन राज्य में उसे चुनाव लड़ना है और किन राज्यों में उपचुनाव.
कहां कहां होने हैं विधानसभा चुनाव
अगले छह महीनों में महाराष्ट्र और झारखंड के साथ दिल्ली विधानसभा का चुनाव प्रस्तावित है.इनमें से महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर और झारखंड विधानसभा का कार्यकाल अगले साल पांच जनवरी को खत्म हो रहा है.माना जा रहा है कि चुनाव आयोग जल्द ही इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम का ऐलान कर सकता है. वहीं दिल्ली विधानसभा का कार्याकाल 23 फरवरी तक है.इनके अलावा छह राज्यों की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी होने हैं. इनके चुनाव कार्यक्रम का ऐलान अभी तक चुनाव आयोग ने नहीं किया है.
महाराष्ट्र का विधानसभा चुनाव
अगले छह महीनों में जिन दो राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं, उनमें सबसे बड़ा है महाराष्ट्र. महाराष्ट्र की विधानसभा में 288 सीटें हैं. महाराष्ट्र में इस समय शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी अजित पवार गुट के महायुति की सरकार है.महायुति में शामिल दोनों दलों तोड़-फोड़ के बाद अस्तित्व में आए हैं.लेकिन इनको अपनी पार्टी का मुख्यनाम लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिला है.महाराष्ट्र में महायुति का मुकाबला शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरदचंद पवार) और कांग्रेस के महाविकास अघाड़ी (एमवीए)से है.
विधानसभा चुनाव में महायुति और महाविकास अघाड़ी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है. महायुति अपनी लोक-लुभावन योजनाओं के साथ जनता के बीच जाएगी, वहीं एमवीए दलबदल और पार्टी में तोड़फोड़ के दम पर सत्ता छीने के बाद बदले की लड़ाई लड़ेगा. यह चुनाव अजित पवार, एकनाथ शिंदे, शरद पवार और उद्धव ठाकरे की परीक्षा भी लेगा.
महाराष्ट्र का पिछला चुनाव 2019 में हुआ था. उसमें बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को जीत मिली थी. लेकिन मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी को लेकर गठबंधन टूट गया था. इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी की सरकार बनाई. लेकिन यह सरकार अधिक दिनों तक नहीं चल सकी. शिवसेना में 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह हुआ.शिंदे ने 40 विधायकों के साथ अलग होकर बीजेपी के साथ सरकार बनाई. वहीं पिछले साल अजित पवार भी एनसीपी में बगावत कर बीजेपी-शिवसेना की सरकार में शामिल हो गए.शिव सेना और एनसीपी में हुई बगावत का इम्तेहान लोकसभा चुनाव में हुआ. इसमें एमवीए ने राज्य की 48 में से 30 सीटों पर कब्जा जमाया. महायुती को 17 सीटों से ही संतोष करना पड़ा.एमवीए में शामिल कांग्रेस को 13, शिवसेना (यूबीटी) को नौ और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) को आठ सीटें मिली थीं. वहीं महायुति की बीजेपी को नौ, शिवसेना को सात और एनसीपी को केवल एक सीट पर जीत मिली थी. इसे महायुति की बड़ी हार के रूप में देखा गया. इस जीत से एमवीए के हौंसले बुलंद हैं.
आरक्षण की मांग को लेकर जारी मराठा आंदोलन बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.इसे वह लोक लुभावन परियोजनाओं से निपटने की कोशिश कर सकती है. वहीं शिवसेना और एनसीपी में हुई तोड़फोड़ के बाद उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ लोगों की सहानुभूति है.
झारखंड का विधानसभा चुनाव
महाराष्ट्र के साथ ही झारखंड विधानसभा के चुनाव भी कराए जा सकते हैं. झारखंड में इस समय झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस, आरजेडी और वामदलों के महागठबंधन की सरकार है. जेएमएम इसमें बड़ा पार्टनर है.इस साल जनवरी में हेमंत सोरेन को भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाना पड़ा था. जेल जाने से पहले सोरेन ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था. उनके बाद से चंपाई सोरेन सीएम की कुर्सी पर बैठे थे. जमानत मिलने के बाद जब सोरेन जेल से रिहा हुए और एक बार फिर सीएम की कुर्सी पर बैठे. इस वजह से चंपाई सोरेन को 156 दिन बाद मुख्यमंत्री पद छोड़ देना पड़ा था. इससे नाराज होकर वो बीजेपी में शामिल हो गए.
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं कांग्रेस ने 16, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 30, आरजेडी ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी.वहीं इस बार के चुनाव में सरकार बनाने लायक सीटें जीतने के लिए बीजेपी को संथाल परगना और कोल्हान की 32 सीटों पर फोकस करना होगा.संथाल परगना की 18 विधानसभा सीटों में से केवल तीन पर ही 2019 में बीजेपी जीत पाई थी. वहीं कोल्हान प्रमंडल की 14 विधानसभा सीटों पर तो बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था.यहां तक की जमशेदपुर पूर्वी सीट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास खुद ही चुनाव हार गए थे.
दिल्ली विधानसभा का चुनाव
महाराष्ट्र और झारखंड के बाद अगला चुनाव केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में होना है. दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है. दिल्ली में पिछले 10 सालों से आम आदमी पार्टी की सरकार है. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नवंबर में चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं. इस पर अभी चुनाव आयोग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
शराब नीति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो 13 सितंबर को तिहाड़ जेल से बाहर आए थे. उन्होंने 17 सितंबर को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.दिल्ली आप का सबसे मजबूत गढ़ है.उसे भेद पाना बीजेपी के लिए अभी भी टेढी खीर बना हुआ है. हालात यह है कि आप ने 2015 के चुनाव में 70 में से 68 सीटें जीती थीं तो 2020 में 70 में से 63 सीटों पर कब्जा जमाया था. इसी कब्जे को बीजेपी तोड़ना चाहती है. लेकिन पिछले दो चुनाव से उसे नाकामी हाथ लगी है.
दिल्ली के केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से वहां आम आदमी पार्टी में जुबानी जंग होती रहती है.पिछले काफी समय से बीजेपी अरविंद केजरीवाल सरकार पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही है.दिल्ली शराब नीति में कथित अनियमितता के आरोप में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्य सभा सांसद संजय सिंह जेल जा चुके हैं. वहीं भ्रष्टाचार के आरोप में ही एक पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन अभी भी जेल में बंद हैं. बीजेपी इस चुनाव में भी इस भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही आप सरकार को घेर रही है.
दिल्ली के राजनीति में कांग्रेस शून्य हो चुकी है. कांग्रेस और आप में हरियाणा विधानसभा चुनाव में समझौता होना था.लेकिन नहीं हो पाया. कांग्रेस हरियाणा का चुनाव जीतते-जीतते हार गई. अब उम्मीद की जा रही है कि कांग्रेस और आप दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए समझौता कर लें. लेकिन दोनों दलों का गठबंधन लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली में फेल हो चुका है.
राज्यों में 28 सीटों पर उपचुनाव
अगले कुछ महीनों में ही उत्तर प्रदेश की 10, राजस्थान की छह, पंजाब की पांच, बिहार की चार, मध्य प्रदेश की दो और छत्तीसगढ़ की एक विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव होना है. इनमें से पंजाब छोड़कर सभी जगह बीजेपी की सरकार है. ऐसे में अधिकांश राज्यों में बीजेपी को एंटी इन्कम्बेंसी का सामना कर पड़ सकता है.
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