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Tuesday, August 27, 2024

महिलाओं में होने वाली खतरनाक बीमारी एंडोमेट्रियोसिस क्या है? ओवरी, लंग्स और आंत से होने लगती है ब्लीडिंग, जानिए कैसे

Endometriosis: महिलाओं की दर्दनाक और बेहद जटिल बीमारी एंडोमेट्रिओसिस इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल, पेरिस ओलंपिक में एक अमेरिकी एथलीट ने अपने ब्रॉन्ज मेडल को एंडोमेट्रियोसिस पीड़ित महिलाओं को समर्पित किया. इसके बाद से एंडोमेट्रियोसिस को लेकर जागरूकता कार्यक्रमों में तेजी आ गई है. साथ ही महिलाओं की इस खतरनाक बीमारी के बारे में जानने को लेकर लोगों की दिलचस्पी भी बढ़ी है. यूट्रस की कोशिकाओं के शरीर के दूसरे हिस्से में फैल जाने से होने वाली ये बीमारी पीरियड्स के दौरान पीड़ित अंगों में भी ब्लीडिंग की वजह बनती है.

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पीरियड्स में एंडोमेशियम सेल्स वाले अंगों से ब्लीडिंग:

गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर ऊषा प्रियंवदा ने एंडोमेट्रियोसिस के प्रभावों पर बातचीत करते हुए कहा कि यूट्रस की लाइनिंग यानी एंडोमेशियम सेल्स के दूसरे अंगों तक फैलने का साफ असर माहवारी या पीरियड्स के दौरान दिखता है. पीरियड्स के समय यूट्रस से ब्लीडिंग की तरह ही एंडोमेशियम के सेल्स वाले अंग जैसे फेलोपियन ट्यूब, ओवरी, लंग्स और आंत वगैरह में भी ब्लीडिंग होने लग जाती है. उन्होंने खासकर लंग्स के बारे में कहा कि थोड़ी-थोड़ी ब्लीडिंग होती है और फिर अगले पीरियड्स तक के लिए यह ठीक भी हो जाता है. हालांकि, लाइनिंग्स अपनी जगह पर बरकरार रहती हैं.

ब्लीडिंग के अलावा लाइनिंग में सूजन और तेज दर्द की शिकायत 

डॉक्टर ऊषा प्रियंवदा ने कहा कि यूट्रस की लाइनिंग बढ़कर शरीर के जिन हिस्से में अपनी जगह बनाकर बढ़ती है वहां और भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. पीरियड्स में ब्लीडिंग के अलावा लाइनिंग में सूजन, दर्द और अंगों के कामकाज में रुकावट जैसी दिक्कत होती है. कई बार गंदे खून के थक्के की वजह से महिलाओं की यूरिन की थैली यानी ब्लैडर और आंत वगैरह में एंडोमेट्रियोसिस का बुरा असर फैलने पर सर्जरी ही उसका एकमात्र इलाज होता है. डॉक्टर्स इन अंगों की सफाई के अलावा जरूरत पड़ने पर उन प्रभावित अंगों का कुछ हिस्सा काटकर भी हटा देते हैं.

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लाइफस्टाइल में बदलाव से अर्ली पीरियड्स का रिस्क | Risk of Early Periods Due To Lifestyle Changes

एंडोमेट्रियोसिस पर चर्चा करते हुए डॉक्टर ऊषा प्रियंवदा ने अर्ली पीरियड्स यानी तय उम्र से कम में ही लड़कियों की माहवारी शुरू होने का भी जिक्र किया. उन्होंने इसकी वजह बताते हुए कहा कि एनवायरमेंट और खानपान समेत पूरी लाइफस्टाइल में तेजी से बदलाव ने इस दिक्कत को बढ़ाया है. आजकल खानपान की कई चीजों को जल्दी-जल्दी ग्रो करवाने के लिए बड़े पैमाने पर एस्ट्रोजन और ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल किया जाता है. बच्चों को लंबा, मजबूत और हेल्दी करने के लिए कई फैमिली इन चीजों को अपना लेते हैं. इससे हॉर्मोनल अंसतुलन की वजह से लड़कियों में अर्ली पीरियड्स के मामले सामने आते हैं.

अर्ली पीरियड्स से बढ़ जाती है एंडोमेट्रियोसिस का खतरा | Early Periods Increase The Risk of Endometriosis

डॉक्टर प्रियंवदा ने कहा कि ये खानपान के अलावा आसपास मौजूद दूसरे फैक्टर्स भी लड़कियों में फीमेल हॉर्मोन्स को ट्रिगर करते हैं. इससे लड़कियों में प्यूबर्टी या पीरियड्स जल्दी आ जाती है. उन्होंने कहा कि पीरियड्स का आना या न आना हेल्थ को बहुत अधिक प्रभावित नहीं करता, लेकिन 8-9 साल की उम्र में लड़कियों का पीरियड्स आना उन्हें मानसिक तौर पर जरूर परेशान कर देता है. इसके अलावा जल्दी पीरियड्स आने से इन लड़कियों के लिए आने वाले समय में एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित होने की आशंका भी बढ़ जाती है.



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