कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सोमवार को जबलपुर पहुंचने के बाद मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाने वाली नर्मदा नदी की पूजा अर्चना की. इसके बाद वह साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के प्रचार अभियान की शुरुआत एक रैली से करेंगी. जबलपुर को मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है. प्रियंका की यात्रा के लिए शहर में कई जगह बजरंगबली के कट आउट लगाए गए हैं.
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, राज्य के प्रभारी पार्टी महासचिव जे.पी. अग्रवाल और राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा के साथ प्रियंका गांधी ने ग्वारीघाट में नर्मदा के किनारे पूजा की. स्थानीय विधायक तरुण भनोट ने प्रियंका गांधी को भगवान गणेश की मूर्ति भेंट की. नेताओं ने नर्मदा नदी को स्वच्छ रखने का संकल्प भी लिया.
जबलपुर मध्य प्रदेश के महाकोशल क्षेत्र का केन्द्र है. यहां आदिवासी मतदाताओं संख्या काफी अधिक है. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने आठ जिलों के इस संभाग में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 13 सीटों में से 11 पर जीत हासिल की थी. बाकी दो सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.
जबलपुर के महापौर और कांग्रेस के शहर प्रमुख जगत बहादुर सिंह ने रविवार को पीटीआई/भाषा से कहा, ‘‘प्रियंका जी शनिवार को सुबह करीब 11.15 बजे शहीद स्मारक में एक जनसभा को संबोधित करके पार्टी के चुनाव अभियान और संकल्प 2023 की शुरुआत करेंगी. वे सुबह करीब 10:30 बजे जबलपुर पहुंचेगी और नर्मदा नदी की पूजा करने के लिए ग्वारीघाट जाएंगी.'
उन्होंने कहा कि रैली स्थल के रास्ते में प्रियंका मुगलों से लड़कर शहीद हुईं रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगी. उन्होंने कहा कि रैली में कम से कम दो लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है.
सिंह ने दावा किया, ‘‘महाकोशल क्षेत्र या आठ जिलों वाले जबलपुर संभाग के लोग खुद को भाजपा द्वारा उपेक्षित महसूस करते हैं. हमने इस क्षेत्र में (पिछली बार) अच्छा प्रदर्शन किया था. इस बार चुनाव में हम शानदार प्रदर्शन करने वाले हैं.''
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने पार्टी के प्रचार अभियान के लिए जबलपुर को क्यों चुना, मध्य प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने कहा कि रैली महाकोशल में आयोजित की जा रही है क्योंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा इस क्षेत्र से होकर नहीं गुजरी थी.
उन्होंने कहा, 'महाकोशल क्षेत्र में रैली से पड़ोसी विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्रों में कांग्रेस को मदद मिलेगी. इसके अलावा महाकोशल में मजबूत सत्ता विरोधी लहर (भाजपा सरकार के खिलाफ) है और कांग्रेस के पारंपरिक आदिवासी मतदाताओं की बड़ी आबादी इस क्षेत्र में रहती है.'
मध्य प्रदेश भौगोलिक रूप से छह क्षेत्रों... महाकोशल, ग्वालियर-चंबल, मध्य भारत, निमाड़-मालवा, विंध्य और बुंदेलखंड में विभाजित है. महाकोशल या जबलपुर संभाग में जबलपुर, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी और छिंदवाड़ा जिले शामिल हैं और इसमें 38 विधानसभा सीटें हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इनमें से 24 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा 13 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही थी. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी.
साल 2013 के चुनावों में भाजपा ने 24 सीटें जीती थीं और कांग्रेस को सिर्फ 13 सीटों पर जीत मिली थी. 2018 में महाकोशल में जीत के बाद कांग्रेस कमलनाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में सक्षम बनी लेकिन, मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद यह सरकार गिर गई.
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