दुनियाभर में लगभग एक दशक से भी ज़्यादा वक्त से मुद्रास्फीति, या आम शब्दों में कहें, तो महंगाई लगातार बढ़ रही है, और नतीजतन इस साल प्रमुख बैंकों ने ब्याज़ दरों में बढ़ोतरी की है, ताकि कीमतों में बढ़ोतरी के दबाव पर कुछ हद तक काबू पाया जा सके. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है, और देश के केंद्रीय बैंक, यानी भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया या RBI) ने अपनी हालिया बैठक में प्रमुख रेपो रेट को 35 आधार अंक बढ़ाया, और 6.25 फीसदी कर दिया, जो अप्रैल, 2019 के बाद से सबसे ऊंची दर है.
गौरतलब है कि इससे पहले की चार बैठकों में भी रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई थी. मई में इसमें 40 आधार अंक बढ़ाए गए थे, और जून, अगस्त और सितंबर में इसमें 50-50 आधार अंक की बढ़ोतरी की गई थी.
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दिसंबर में की गई बढ़ोतरी भले ही लगातार पांच बार से हो रही बढ़ोतरी में सबसे कम है, इसका घरेलू बजट पर खासा नकारात्मक असर पड़ने वाला है, क्योंकि हर लगभग चीज़ की कीमत बढ़ जाने और उधार के खर्च बढ़ जाने से घरेलू बजट पहले ही संकट काल से गुज़र रहे हैं.
हालिया महीनों में भारतीय बैंकों ने भी RBI द्वारा की गई बढ़ोतरी को तुरंत ही ग्राहकों पर थोप दिया था, जिससे कर्ज़ पर होने वाला कुल खर्च और समान मासिक किश्तें (EMIs) भी महंगी हो गई थीं. सो, इस माहौल और वक्त में यह जानना काफी फायदेमंद होगा कि आप कर्ज़ पर होने वाला अपना कुल खर्च कैसे पता कर सकते हैं.
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इस तरह की किसी भी ज़रूरत के लिए NDTV टूल्स पेज पर मौजूद NDTV के निशुल्क और इस्तेमाल में आसान ऑनलाइन कैलकुलेटर प्रयोग किए जा सकते हैं, ताकि अपने कर्ज़ के कु खर्च और EMIs का अंदाज़ा लगाया जा सके.
अगर आप नया घर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो NDTV होम लोन कैलकुलेटर के ज़रिये कुछ ही क्लिक में जाना जा सकता है कि कितने रकम का कर्ज़ लेने के बाद मासिक खर्च कितना हो जाएगा.
इसी तरह, अलग-अलग तरह के कर्ज़ पर होने वाले कुल खर्च को जानने में NDTV के पर्सनल लोन कैलकुलेटर और कार लोन कैलकुलेटर की मदद ली जा सकती है.
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खैर, ब्याज़ दरों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के इस दौर में किसी लोन के लिए आवेदन करने से पहले ध्यान रखने योग्य ज़रूरी बातें इस प्रकार हैं...
कर्ज़ के लिए अप्लाई करने से पहले कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए. समान मासिक किश्तें तय करते वक्त आप अपनी वित्तीय स्थिति और कर्ज़ चुकाने की क्षमता का ध्यान रखें. आइए, आपको समझाते हैं, कुछ ज़रूरी बातें...
लोन की कुल अवधि क्या है...?
जब भी ब्याज़ दर बढ़ती है, कर्ज़ देने वाले आमतौर पर या तो कर्ज़ की अवधि बढ़ाते हैं, या आपकी EMI, या कभी-कभी दोनों. सो, ध्यान रहे, EMI की रकम में बदलाव हो सकता है, इसलिए बेहद ज़रूरी है कि कर्ज़ की अवधि चुनते वक्त सोच-विचार करें.
क्या ब्याज़ दर दी जा रही है...?
सबसे अहम है यह समझना कि अलग-अलग बैंक आपको क्या ब्याज़ दर दे रहे हैं, ताकि आप कर्ज़ के लिए सबसे अच्छी पेशकश को कबूल कर पाएं. इस तुलना के लिए आप NDTV के ऑनलाइन कैलकुलेटर का इस्तेमाल कर सकते हैं.
कर्ज़ की रकम कितनी है...?
आप कितनी रकम का कर्ज ले रहे हैं, इसकी भी ब्याज़ और पुनर्भुगतान की जाने वाली कुल रकम तय करने में बेहद अहम भूमिका होती है. कितनी बड़ी रकम का कर्ज़ लेना चाहिए, यह काफी अहम सवाल बन जाता है, क्योंकि साल के अंतिम दिनों में आमतौर पर बैंक अलग-अलग स्कीम की पेशकश देते हैं, जिनमें बड़ी रकम के कर्ज़ की पेशकश भी शामिल होती हैं.
सो, आप किसी भी तरह का लोन लेने जा रहे हों, कर्ज़ लेने से पहले ही यह समझना सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है कि आपको मासिक किश्तों के तौर पर कितनी रकम का भुगतान करना होगा. इसमें मदद के लिए EMI कैलकुलेटर काफी काम की चीज़ साबित हो सकता है.
NDTV के फ्री ऑनलाइन कैलकुलेटर के ज़रिये मासिक किश्तों सहित पुनर्भुगतान की कुल रकम के बारे में विस्तार से समझ लेना आपके वित्तीय बोझ को हल्का करने में आपकी काफी मदद कर सकता है.
वैसे, NDTV टूल्स पेज सिर्फ लोन कैलकुलेटर ही उपलब्ध नहीं करवाता है, बल्कि PPF कैलकुलेटर जैसे अलग-अलग निवेश कैलकुलेटर और ईंधन कैलकुलेटर जैसे रोज़मर्रा की अलग-अलग गतिविधियों से जुड़े कैलकुलेटर भी आपको उपलब्ध करवाता है.
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