चूरू. सरकार से मोटी तनख्वाह लेने के बावजूद कई अफसर व कर्मचारी घूस लेने से बाज नहीं आ रहे। फाइल पर वजन रखे बिना कोई काम ही नहीं होता। सुुविधा शुल्क मिलते ही काम जल्दी हो जाते हैं। ऐसा नहीं है कि यह ऊपर के स्तर पर ही है, बल्कि निचले स्तर पर भी भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहराई हुई है। चूरू जिले में कई घूसखोर रंगहाथ पकड़े जा चुके हैं। इसके बावजूद रिश्वत बगैर काम नहीं होने की शिकायतें मिल रही है। भ्रष्टाचार की कहानी कोई नई नहीं है। एसीबी से बचने के लिए घूस लेने के तरीके बदले जा रहे हैं। किसी न किसी रूप में अधिकारी-कर्मचारी अपनी जेब भरने में लगे हैं।
तीन साल में 18 घूसखोर दबोचे
पिछले तीन साल के आंकड़ों पर बात करें तो 18 लोग रिश्वत के आरोप में पकड़े गए हैं। इन पर केस जारी है। इसमें गौर करने लायक बात यह है कि अधिकारियों में भ्रष्टाचार करने की लत कम नहीं हो रही है। यह परंपरा अमरबेल के रूप में बढ़ती दिख रही है। इससे प्रशासन की साख को बटन्टा लग रहा है। जानकारों की मानें तो हर काम के लिए रकम तय है, जिसमें दलाल परिवादियों से सेटिंग करते हैं। यह सत्य है कि एसीबी की सक्रियता से घूसखोर अधिकारियों की रिश्वत लेने की प्रवृत्ति पर कुछ हद तक अंकुश लगा है।
तीन मामलों में मोटी रकम ऐंठी
तीन साल के आंकड़ों में तीन प्रकरण ऐसे हैं, जिसमें अधिकारियों ने परिवादियों से मोटी रकम ऐंठी है। इनमें राजस्थान आयुर्वेद कॉलेज लखनऊ के रीडर पुनीत मिश्रा, राजकीय आयुर्वेद कॉलेज भोपाल के नीतिन मारवाह, राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के प्रवक्ता श्रीष मिश्रा ने आयुर्वेद कॉलेज सरदारशहर की मान्यता को आगे बढ़ाने के लिए 12 लाख रुपए की घूस ली। इस पर एसीबी ने इन्हें ट्रेप कर लिया था। इसी प्रकार लाहौरी गेट नई दिल्ली के एएसआई योगेन्द्रपालसिंह, हैड कांस्टेबल विकास कुमार, कांस्टेबल राजेश कुमार, रानी बाग निवासी जितेन्द्र कुमार और नापासर निवासी ओंकारनाथ सिद्ध ने परिवादी के पुत्र का नाम मुकदमे से बाहर निकालने की एवज में पांच लाख रुपए मांगे, जिन्हें ट्रेप किया गया था। वहीं तीसरे मामले में पंचायत समिति राजगढ़ के विकास अधिकारी वीरपालसिंह, ग्राम विकास अधिकारी सुरेन्द्र ने परिवादी सरपंच के द्वारा पंचायत में कराए 25 लाख रुपए के निर्माण कार्य के बिलों के भुगतान की एवज में पांच प्रतिशत के हिसाब से 1 लाख 27 हजार रुपए मांगे, जिन्हें एसीबी ने धर- दबोचा था।
यहां करे शिकायत
जिले में यदि किसी भी विभाग का कोई कर्मचारी या अधिकारी काम के बदले में रिश्वत मांगता है तो उसकी सूचना एसीबी को तथ्यात्मक रिपोर्ट सबूतों और गवाहों के साथ इसकी जानकारी दें। कार्यालय के नंबर 01562-250284 पर संपर्क करके तथ्यात्मक रिपोर्ट दे सकते हैं।
केस एक : नाम गोविंदसिंह, हैडकांस्टेबल सिधमुख थानाधिकारी। इन्होंने परिवादी से उसके परिवार के सदस्यों के नाम मुकदमें से निकालने की एवज में 10 हजार रुपए की रिश्वत ली थी। एसीबी ने भौतिक सत्यापन कर आरोपी को ट्रेप कर लिया।
केस दो : नाम विक्रम वालिया, कांस्टेबल राजगढ़। इन्होंने परिवादी को वीडियो गेम की दुकान को बिना लाइसेंस के चलाने की एवज में 21 सौ रुपए मांगे थे। एसीबी ने आरोपी को ट्रेप कर लिया।
इनको भी एसीबी ने किया ट्रेप
* पंचायत समिति चूरू के पटवारी समुद्रसिंह राजपूत व रतननगर निवासी मेहराज खां भूमि म्यूटेशन करने की एवज में चार हजार रुपए रिश्वत लेते धरे गए।
* भादरा पंचायत समिति के विकास अधिकारी मोहनसिंह जाट ने पंचायत समिति कराए विकास कार्यों की सीसी जारी करने की ऐवज में 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़े गए।
* पंचायत समिति डंूगरगढ़ के पंचायत प्रसार अधिकारी महावीरप्रसाद शर्मा ने परिवादी सरपंच से विकास कार्यों के भुगतान बिल बनाने की एवज में एक लाख रुपए वसूले।
* सुजानगढ़ तहसील के सारोठिया के पटवारी हरसहाय मीणा ने परिवादी का म्यूटेशन कराने की एवज में एक हजार रुपए हड़पे।
* जलदाय विभाग चूरू-बिसाऊ उपखण्ड के सहायक अभियंता शैलेन्द्र वाष्र्णेय ने बकाया बिलों के भुगतान की एवज में 34 हजार रुपए की रिश्वत ली।
* सुजानगढ़ एडीजे कोर्ट के अतिरिक्त लोक अभियोजक कुम्भाराम आर्य ने न्यायालय में अच्छी पैरवी करने की एवज में 5 हजार रुपए की घूस ले ली।
* सरदारशहर के सोनपालसर उप स्वास्थ्य केन्द्र की एएनएम निर्मला देवी ने जननी सुरक्षा योजना का चेक देने की एवज में एक हजार रुपए की रिश्वत ली।
* जेविविएनएल सरदारशहर के कनिष्ठ अभियंता सुनील कुमार व विद्युत ठेकेदार ने मंदिर पर विद्युत कनेक्शन करने की एवज में 4 हजार रुपए की घूस ली।
* वाहन का रजिस्ट्रेशन करने की एवज में सुजानगढ़ डीटीओ के सूचना सहायक धर्मेन्द्र कुमार व दलाल भवानीसिंह ने 8 हजार रुपए मांगे।
* तारानगर थाने के कांस्टेबल राकेश कुमार व मामराज ने परिवादी से उसके भांजे के खिलाफ दर्ज मुकदमें जल्दी चालान पेश करने के नाम पर 25 हजार रुपए मांगे।
*जेविविएनएल श्रीडूंगरगढ़ के तकनीकी सहायक ओमप्रकाश मीणा ने परिवादी से पेट्रोल पंप पर जल्दी कनेक्शन करने के नाम पर 8 हजार रुपए रिश्वत के लिए।
* सानिवि एसई के निजी सहायक अशोक कुमार ने परिवादी ठेकेदार से उसके लाइसेंस स्थायी करने की एवज में तीन हजार रुपए रिश्वत के लिए।
* मंडावा नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी मनीष पारीक व कनष्ठि लिपिक विकास कुमार ने परिवादी से पेट्रोल पंप व्यवसायिक कनवर्जन के नाम पर 40 हजार रुपए की रिश्वत ली।
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